Sunday, 14 October 2012

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो

एक  बौद्ध भिक्षुक भोजन  बनाने  के  लिए  जंगल  से  लकड़ियाँ  चुन  रहा  था कि  तभी  उसने  कुछ अनोखा   देखा ,
Motivational Hindi Story Hindi Kahaani
शेर लोमड़ी और भिक्षुक
“कितना अजीब है ये  !”, उसने   बिना  पैरों  की  लोमड़ी  को  देखते  हुए  मन  ही  मन   सोचा .
“ आखिर  इस  हालत  में  ये  जिंदा  कैसे  है ?” उसे  आशचर्य  हुआ , “ और  ऊपर  से  ये  बिलकुल   स्वस्थ  है ”
वह  अपने ख़यालों  में  खोया  हुआ  था  की   अचानक  चारो  तरफ  अफरा – तफरी  मचने  लगी ;  जंगल  का  रजा  शेर  उस  तरफ  आ  रहा  था .  भिक्षुक भी  तेजी  दिखाते  हुए  एक  ऊँचे  पेड़  पर  चढ़  गया , और  वहीँ  से  सब  कुछ  देखने  लगा .
 शेर  ने  एक हिरन  का  शिकार  किया  था  और  उसे  अपने  जबड़े  में  दबा  कर  लोमड़ी  की  तरफ   बढ़  रहा  था , पर  उसने  लोमड़ी   पर  हमला  नहीं  किया  बल्कि  उसे  भी  खाने के  लिए  मांस  के   कुछ  टुकड़े  डाल  दिए .
“ ये  तो घोर आश्चर्य है , शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है .” , भिक्षुक बुदबुदाया,उसे  अपनी  आँखों  पर  भरोसा  नहीं  हो  रहा  था  इसलिए  वह  अगले  दिन  फिर  वहीँ  आया  और  छिप  कर  शेर  का  इंतज़ार  करने  लगा .  आज  भी  वैसा  ही  हुआ , शेर  ने  अपने  शिकार  का  कुछ  हिस्सा  लोमड़ी  के  सामने  डाल   दिया .
“यह  भगवान्  के  होने  का  प्रमाण  है !” भिक्षुक  ने  अपने  आप  से  कहा . “ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है , आज  से  इस  लोमड़ी  की  तरह  मैं  भी  ऊपर  वाले  की दया पर जीऊंगा , इश्वर  मेरे  भी  भोजन   की  व्यवस्था करेगा .” और  ऐसा  सोचते  हुए  वह  एक   वीरान  जगह  पर जाकर एक पेड़  के नीचे  बैठ  गया .
पहला  दिन  बीता  , पर  कोई  वहां  नहीं  आया ,  दूसरे  दिन  भी  कुछ  लोग  उधर  से  गुजर  गए  पर  भिक्षुक  की  तरफ  किसी  ने  ध्यान  नहीं  दिया . इधर  बिना  कुछ  खाए -पीये  वह  कमजोर  होता  जा  रहा  था . इसी तरह कुछ  और  दिन  बीत  गए , अब  तो  उसकी  रही  सही  ताकत  भी  खत्म  हो  गयी …वह  चलने -फिरने  के  लायक  भी  नहीं  रहा .  उसकी  हालत बिलकुल  मृत  व्यक्ति  की  तरह  हो  चुकी  थी  की  तभी  एक  महात्मा  उधर  से  गुजरे  और  भिक्षुक  के  पास  पहुंचे .
उसने अपनी सारी कहानी  महात्मा  जी  को  सुनाई  और  बोला , “ अब  आप  ही  बताइए कि  भगवान्  इतना  निर्दयी  कैसे  हो  सकते  हैं , क्या  किसी  व्यक्ति  को  इस  हालत  में पहुंचाना  पाप  नहीं  है ?”
“ बिल्कुल है ,”, महात्मा  जी ने  कहा , “ लेकिन  तुम इतना  मूर्ख  कैसे  हो  सकते  हो ? तुमने  ये  क्यों  नहीं  समझे  की  भगवान्  तुम्हे  उसे  शेर  की  तरह  बनते  देखना  चाहते  थे , लोमड़ी  की  तरह  नहीं !!!”
 दोस्तों , हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं. ईश्वर  ने हम सभी के अन्दर कुछ न  कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं , ज़रुरत हैं कि  हम उन्हें पहचाने , उस भिक्षुक का सौभाग्य था की उसे उसकी गलती का अहसास कराने के लिए महात्मा जी मिल गए पर हमें खुद भी चौकन्ना रहना चाहिए की कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं.


Mr.Rishi Kumar
Founder & Chief Executive Officer
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt. Ltd

Wednesday, 12 September 2012

एक गिलास दूध

एक गिलास दूध

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस...ने पानी का एक गिलास पानी माँगा.लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक........बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया." कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा." पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव मेंकहा." माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए."" तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देताहूँ."जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकीथी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.
 
सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वहएकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान लेलेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसूटपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.

Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt.Ltd

 

विजेता मेंढक

विजेता मेंढक

बहुत  समय  पहले  की  बात  है  एक  सरोवर  में  बहुत  सारे  मेंढक  रहते  थे . सरोवर  के   बीचों -बीच  एक  बहुत  पुराना  धातु   का  खम्भा  भी  लगा  हुआ   था  जिसे  उस  सरोवर  को  बनवाने  वाले  राजा    ने   लगवाया  था . खम्भा  काफी  ऊँचा  था  और  उसकी  सतह  भी  बिलकुल  चिकनी  थी .
एक  दिन  मेंढकों  के  दिमाग  में  आया  कि  क्यों  ना  एक  रेस  करवाई  जाए . रेस  में  भाग  लेने  वाली  प्रतियोगीयों  को  खम्भे  पर  चढ़ना  होगा , और  जो  सबसे  पहले  एक  ऊपर  पहुच  जाएगा  वही  विजेता  माना  जाएगा .
रेस  का  दिन  आ   पंहुचा , चारो  तरफ   बहुत  भीड़  थी ; आस -पास  के  इलाकों  से  भी  कई  मेंढक  इस  रेस  में  हिस्सा   लेने  पहुचे   . माहौल  में  सरगर्मी थी   , हर  तरफ  शोर  ही  शोर  था .
रेस  शुरू  हुई …
…लेकिन  खम्भे को देखकर  भीड़  में  एकत्र  हुए  किसी  भी  मेंढक  को  ये  यकीन  नहीं हुआकि  कोई  भी  मेंढक   ऊपर  तक  पहुंच  पायेगा …
हर  तरफ  यही सुनाई  देता …
“ अरे  ये   बहुत  कठिन  है ”
“ वो  कभी  भी  ये  रेस  पूरी  नहीं  कर  पायंगे ”
“ सफलता  का  तो  कोई  सवाल ही  नहीं  , इतने  चिकने  खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता  ”
और  यही  हो  भी  रहा  था , जो भी  मेंढक  कोशिश  करता , वो  थोडा  ऊपर  जाकर  नीचे  गिर  जाता ,
कई  मेंढक  दो -तीन  बार  गिरने  के  बावजूद  अपने  प्रयास  में  लगे  हुए  थे …
पर  भीड़  तो अभी भी  चिल्लाये  जा  रही  थी , “ ये  नहीं  हो  सकता , असंभव ”, और  वो  उत्साहित  मेंढक  भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना  प्रयास  छोड़  दिया .
लेकिन  उन्ही  मेंढकों  के  बीच  एक  छोटा  सा  मेंढक  था , जो  बार -बार  गिरने  पर  भी  उसी  जोश  के  साथ  ऊपर  चढ़ने  में  लगा  हुआ  था ….वो लगातार   ऊपर  की  ओर  बढ़ता  रहा ,और  अंततः  वह  खम्भे के  ऊपर  पहुच  गया  और इस रेस का  विजेता  बना .
उसकी  जीत  पर  सभी  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ , सभी मेंढक  उसे  घेर  कर  खड़े  हो  गए  और  पूछने  लगे   ,” तुमने  ये  असंभव  काम  कैसे  कर  दिखाया , भला तुम्हे   अपना  लक्ष्य   प्राप्त  करने  की  शक्ति  कहाँ  से  मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?”
तभी  पीछे  से  एक  आवाज़  आई … “अरे  उससे  क्या  पूछते  हो , वो  तो  बहरा  है ”
Friends, अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं . आवश्यकता  इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक पायेगा.

Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt Ltd.

 

आप हाथी नहीं इंसान हैं !

आप हाथी नहीं इंसान हैं !

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे.
उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!!
इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.
याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.

Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt. Ltd.

 

Tuesday, 11 September 2012

REAL LOVE

एक बार एक लड़का था ! जो एक लड़की को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था !
उसके परिवार वालो ने भी उसका कभी साथ नहीं दिया ,फिर भी वो उस लड़की को प्यार करता रहा लेकिन लड़की कुछ देख नहीं सकती थी मतलब अंधी थी !
लड़की हमेशा लड़के से कहती रहती थी की तुम मुझे इतना प्यार क्यूँ करते हो !में
तुम्हारे किसी काम नहीं आ सकती में तुम्हे वो प्यार नहीं दे सकती जो कोई और
देगा लेकिन वो लड़का उसे हमेशा दिलाषा देता रहता की तुम ठीक हो जोगी
तुम्ही मेरा पहला प्यार हो और रहोगी फिर कुछ साल ये सिलसिला चलता रहता है
लड़का अपने पैसे से लड़की का ऑपरेशन करवाता है लड़की ऑपरेशन के बाद अब सब
कुछ देख सब सकती थी लेकिन उससे पता चलता है की लड़का भी अँधा था तब लड़की
कहती है की में तुमसे प्यार नहीं कर सकती तुम तोह अंधे हो.में किसी अंधे
आदमी को अपना जीवन साथी चुन सकती तुम्हारे साथ मेरा कोई future नहीं है
..तब लड़का मुस्कुराता है और जाने लगता है और उसके आखिरी बोल होते है. TAKE CARE OF MY EYES. THIS IS REAL LOVE.


Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
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Friday, 6 July 2012

सलाह लें ,पर संभल कर…..

  सलाह लें ,पर संभल कर…..

मनुष्य एक  सामाजिक प्राणी है. जो की लोगो के समूह के बीच मे रहता है ,इस समूह मे कई तरह के रिश्तो को वो निभाता है !  कुछ रिश्ते निस्स्वार्थ होते है ,जबकि अधिकतर रिश्तो की नीव स्वार्थ पर टिकी होती है!   हम जो professional relation  बनाते हैं, वो अधिकतर आदान प्रदान या यो कहें एक से दूसरे  को ,और दूसरे  से पहले व्यक्ति को फायदे की बुनियाद पर ही टिके होते हैं!  मैं यह नहीं कह रहा की सभी रिश्तो के पीछे स्वार्थ ही होता है,  लेकिन हाँ आज की दुनिया में  अधिकतर इंसान अपना फायदा देख कर ही relation  बनाते हैं!
दोस्तों ऐसा कई बार होता है ,की हम किसी दुविधा मे  फंस जाते हैं और हमे किसी की  राय की जरुरत पड़ती है, तब  हम अपने आस पास के लोगों से उस बारे मे सलाह मशवरा करते है कि हमे क्या करना चाहिये ,कई बार उनकी राय हमें सही रास्ते का मार्ग दिखाती है तो कभी और ज्यादा हमारे नुक्सान का सबब बन जाती है!
अगर आप माता पिता ,भाई बहन ,सच्चा दोस्त आदि निस्स्वार्थ रिश्तो को ,  जो की आप को सही राय ही देते हैं,  छोड़ दें ,  तो बाकी अधिकतर समाज के और work place  के लोगो से सलाह  लें जरूर ,पर अपना विवेक भी बनाय रखें !  क्योंकि कई बार ऐसे सलाह देने वालो का स्वार्थ भी उनकी सलाह मे छुपा रहता है!     इसलिए - सुने सबकी पर माने अपने विवेक और अंतरात्मा की
एक  बार एक आदमी अपने छोटे से बालक के साथ एक घने जंगल से जा रहा था!   तभी रास्ते मे उस बालक को प्यास लगी ,  और उसे पानी पिलाने उसका पिता उसे एक  नदी पर ले गया , नदी पर पानी पीते पीते अचानक वो बालक पानी मे गिर गया ,  और डूबने से उसके प्राण निकल गए!   वो आदमी बड़ा दुखी हुआ,  और उसने सोचा की इस घने जंगल मे इस बालक की अंतिम क्रिया किस प्रकार करूँ !   तभी उसका रोना सुनकर एक गिद्ध ,  सियार और नदी से एक कछुआ वहा आ गए ,  और उस आदमी से सहानुभूति व्यक्त करने लगे ,  आदमी की परेशानी जान कर सब अपनी अपनी सलाह  देने लगे!
सियार ने लार टपकाते हुए कहा ,  ऐसा करो   इस बालक के शरीर को इस जंगल मे ही किसी चट्टान के ऊपर छोड़ जाओ, धरती  माता इसका उद्धार कर देगी!   तभी गिद्ध अपनी ख़ुशी छुपाते हुए बोला,    नहीं धरती पर तो इसको जानवर खा जाएँगे,     ऐसा करो इसे किसी वृक्ष के ऊपर डाल दो ,ताकि सूरज की गर्मी से इसकी अंतिम गति अच्छी होजाएगी!    उन दोनों की बाते सुनकर कछुआ भी अपनी भूख को छुपाते हुआ बोला ,नहीं आप इन दोनों की बातो मे मत आओ, इस  बालक की जान पानी मे गई है,  इसलिए आप इसे नदी मे ही बहा दो !
और इसके बाद तीनो अपने अपने कहे अनुसार उस आदमी पर जोर डालने लगे !   तब उस आदमी ने अपने विवेक का सहारा लिया और उन तीनो से कहा ,  तुम तीनो की सहानुभूति भरी सलाह मे   मुझे तुम्हारे स्वार्थ की गंध आ रही है,  सियार चाहता  है  की मैं इस बालक  के शरीर को ऐसे ही जमीन पर छोड़ दूँ  ताकि ये उसे आराम से खा सके,  और गिद्ध   तुम  किसी पेड़ पर इस बालक के शरीर  को इसलिए रखने की सलाह दे रहे हो ताकि इस सियार और कछुआ से बच कर आराम से तुम दावत उड़ा सको ,  और कछुआ   तुम नदी के अन्दर रहते हो   इसलिए नदी मे अपनी दावत का इंतजाम कर रहे हो  !  तुम्हे सलाह देने के लिए  धन्यवाद , लेकिन मै इस बालक के शरीर  को अग्नि को समर्पित करूँगा ,  ना की तुम्हारा भोजन बनने दूंगा!    यह सुन कर वो तीनो  अपना सा मुह लेकर वहा से चले गए!
दोस्तों  मै यह नहीं कह रहा हूँ की हर व्यक्ति आपको स्वार्थ  भरी सलाह ही देगा ,  लेकिन आज के इस competitive युग मे   हम अगर अपने विवेक की छलनी  से किसी सलाह को छान ले  तो शायद ज्यादा सही रहेगा ! हो सकता है की आप लोग मेरी बात से पूरी तरह सहमत ना हो ,पर कहीं ना कहीं आज के युग में ये भी तो सच है कि  -  मेरे नज़दीक रहते है कुछ दोस्त ऐसे ,जो मुझ में  ढुंढते  है गलतियां अपनी……….

Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt Ltd.

महान प्रेरणा स्रोत – स्वामी विवेकानंद

Swami Vivekananda Life in Hindi
Swami Vivekananda

                 महान प्रेरणा स्रोत – स्वामी विवेकानंद 

भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को सूर्योदय से 6 मिनट पूर्व 6 बजकर 33 मिनट 33 सेकेन्ड पर हुआ। भुवनेश्वरी देवी के विश्वविजयी पुत्र का स्वागत मंगल शंख बजाकर मंगल ध्वनी से किया गया। ऐसी महान विभूती के जन्म से भारत माता भी गौरवान्वित हुईं।
बालक की आकृति एवं रूप बहुत कुछ उनके सन्यासी पितामह दुर्गादास की तरह था। परिवार के लोगों ने बालक का नाम दुर्गादास रखने की इच्छा प्रकट की, किन्तु माता द्वारा देखे स्वपन के आधार पर बालक का नाम वीरेश्वर रखा गया।प्यार से लोग ‘बिले’ कह कर बुलाते थे। हिन्दू मान्यता के अनुसार संतान के दो नाम होते हैं, एक राशी का एवं दूसरा जन साधारण में प्रचलित नाम , तो अन्नप्रासन के शुभ अवसर पर बालक का नाम नरेन्द्र नाथ रखा गया।
नरेन्द्र की बुद्धी बचपन से ही तेज थी।बचपन में नरेन्द्र बहुत नटखट थे। भय, फटकार या धमकी का असर उन पर नहीं होता था। तो माता भुवनेश्वरी देवी ने अदभुत उपाय सोचा, नरेन्द्र का अशिष्ट आचरण जब बढ जाता तो, वो शिव शिव कह कर उनके ऊपर जल डाल देतीं। बालक नरेन्द्र एकदम शान्त हो जाते। इसमे संदेह नही की बालक नरेन्द्र शिव का ही रूप थे।
माँ के मुहँ से रामायण महाभाऱत के किस्से सुनना नरेन्द्र को बहुत अच्छा लगता था।बालयावस्था में नरेन्द्र नाथ को गाङी पर घूमना बहुत पसन्द था। जब कोई पूछता बङे हो कर क्या बनोगे तो मासूमियत से कहते कोचवान बनूँगा।
पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखने वाले पिता विश्वनाथ दत्त अपने पुत्र को अंग्रेजी शिक्षा देकर पाश्चातय सभ्यता में रंगना चाहते थे। किन्तु नियती ने तो कुछ खास प्रयोजन हेतु बालक को अवतरित किया था।
ये कहना अतिश्योक्ती न होगा कि भारतीय संस्कृती को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो हैं स्वामी विवेकानंद। व्यायाम, कुश्ती,क्रिकेट आदी में नरेन्द्र की विशेष रूची थी। कभी कभी मित्रों के साथ हास –परिहास में भी भाग लेते। जनरल असेम्बली कॉलेज के अध्यक्ष विलयम हेस्टी का कहना था कि नरेन्द्रनाथ दर्शन शास्त्र के अतिउत्तम छात्र हैं। जर्मनी और इग्लैण्ड के सारे विश्वविद्यालयों में नरेन्द्रनाथ जैसा मेधावी छात्र नहीं है।
नरेन्द्र के चरित्र में जो भी महान है, वो उनकी सुशिक्षित एवं विचारशील माता की शिक्षा का ही परिणाम है।बचपन से ही परमात्मा को पाने की चाह थी।डेकार्ट का अंहवाद, डार्विन का विकासवाद, स्पेंसर के अद्वेतवाद को सुनकर नरेन्द्रनाथ सत्य को पाने का लिये व्याकुल हो गये। अपने इसी उद्देश्य की पूर्ती हेतु ब्रह्मसमाज में गये किन्तु वहाँ उनका चित्त शान्त न हुआ। रामकृष्ण परमहंस की तारीफ सुनकर नरेन्द्र उनसे तर्क के उद्देश्य से उनके पास गये किन्तु उनके विचारों से प्रभावित हो कर उन्हे गुरू मान लिया। परमहसं की कृपा से उन्हे आत्म साक्षात्कार हुआ। नरेन्द्र परमहंस के प्रिय शिष्यों में से सर्वोपरि थे। 25 वर्ष की उम्र में नरेन्द्र ने गेरुवावस्त्र धारण कर सन्यास ले लिया और विश्व भ्रमण को निकल पङे।
 1893 में शिकागो विश्व धर्म परिषद में भारत के प्रतीनिधी बनकर गये किन्तु उस समय युरोप में भारतीयों को हीन दृष्टी से देखते थे। उगते सूरज को कौन रोक पाया है, वहाँ लोगों के विरोध के बावजूद एक प्रोफेसर के प्रयास से स्वामी जी को बोलने का अवसर मिला। स्वामी जी ने बहिनों एवं भाईयों कहकर श्रोताओं को संबोधित किया। स्वामी जी के मुख से ये शब्द सुनकर करतल ध्वनी से उनका स्वागत हुआ। श्रोता उनको मंत्र मुग्ध सुनते रहे निर्धारित समय कब बीत गया पता ही न चला। अध्यक्ष गिबन्स के अनुरोध पर स्वामी जी आगे बोलना शुरू किये तथा 20 मिनट से अधिक बोले। उनसे अभिभूत हो हज़ारों लोग उनके शिष्य बन गये। आलम ये था कि जब कभी सभा में शोर होता तो उन्हे स्वामी जी के भाषण सुनने का प्रलोभन दिया जाता सारी जनता शान्त हो जाती।
अपने व्यख्यान से स्वामी जी ने सिद्ध कर दिया कि हिन्दु धर्म भी श्रेष्ठ है, उसमें सभी धर्मों समाहित करने की क्षमता है।इस अदभुत सन्यासी ने सात समंदर पार भारतीय संसकृती की ध्वजा को फैराया।
स्वामी जी केवल संत ही नही देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक एवं मानव प्रेमी थे। 1899 में कोलकता में भीषण प्लेग फैला, अस्वस्थ होने के बावजूद स्वामी जी ने तन मन धन से महामारी से ग्रसित लोगों की सहायता करके इंसानियत की मिसाल दी। स्वामी विवेकानंद ने, 1 मई,1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। रामकृष्ण मिशन, दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्मयोग मानता है जो कि हिन्दुत्व में प्रतिष्ठित एक महत्वपूर्ण सिध्दान्त है।
39 वर्ष के संक्षिप्त जीवन काल में स्वामी जी ने जो अदभुत कार्य किये हैं, वो आने वाली पिढीयों को मार्ग दर्शन करते रहेंगे। 4 जुलाई 1902 को स्वामी जी का अलौकिक शरीर परमात्मा मे विलीन हो गया।
स्वामी जी का आदर्श- “उठो जागो और तब तक न रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए” अनेक युवाओं के लिये प्रेरणा स्रोत है। स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनकी शिक्षा में सर्वोपरी शिक्षा है ”मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है।”
 धन्यवाद
Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt Ltd.

Thursday, 24 May 2012

मेरी ताकत

मेरी ताकत 

जापान  के  एक  छोटे  से  कसबे में  रहने  वाले  दस  वर्षीय  ओकायो  को  जूडो  सीखने  का  बहुत  शौक  था . पर  बचपन  में  हुई  एक  दुर्घटना  में  बायाँ  हाथ  कट  जाने  के  कारण  उसके  माता -पिता  उसे  जूडो सीखने  की  आज्ञा  नहीं  देते  थे . पर  अब  वो  बड़ा  हो  रहा  था  और  उसकी  जिद्द  भी  बढती  जा  रही  थी .
 अंततः  माता -पिता  को  झुकना  ही  पड़ा  और  वो  ओकायो  को  नजदीकी  शहर  के  एक  मशहूर मार्शल आर्ट्स   गुरु  के  यहाँ  दाखिला  दिलाने ले  गए .

 गुरु  ने  जब  ओकायो  को  देखा  तो  उन्हें  अचरज  हुआ   कि ,  बिना  बाएँ  हाथ  का  यह  लड़का  भला   जूडो   क्यों  सीखना  चाहता   है ?

उन्होंने  पूछा , “ तुम्हारा  तो  बायाँ   हाथ  ही  नहीं  है  तो  भला  तुम  और  लड़कों  का  मुकाबला  कैसे  करोगे 
.”

“ ये  बताना  तो  आपका  काम  है” ,ओकायो  ने  कहा . मैं  तो  बस  इतना  जानता  हूँ  कि  मुझे  सभी  को  हराना  है  और  एक  दिन  खुद  “सेंसेई” (मास्टर) बनना  है ”

गुरु  उसकी  सीखने  की  दृढ  इच्छा  शक्ति  से  काफी  प्रभावित  हुए  और  बोले , “ ठीक  है  मैं  तुम्हे  सीखाऊंगा  लेकिन  एक  शर्त  है , तुम  मेरे  हर  एक  निर्देश  का  पालन  करोगे  और  उसमे  दृढ  विश्वास  रखोगे .”

ओकायो  ने  सहमती  में  गुरु  के  समक्ष  अपना  सर  झुका  दिया .

गुरु  ने एक  साथ लगभग  पचास छात्रों  को  जूडो  सीखना  शुरू  किया . ओकायो  भी  अन्य  लड़कों  की  तरह  सीख  रहा  था . पर  कुछ  दिनों  बाद  उसने  ध्यान  दिया  कि  गुरु  जी  अन्य  लड़कों  को  अलग -अलग  दांव -पेंच  सीखा  रहे  हैं  लेकिन  वह  अभी  भी  उसी  एक  किक  का  अभ्यास  कर  रहा  है  जो  उसने  शुरू  में  सीखी  थी . उससे  रहा  नहीं  गया  और  उसने  गुरु  से  पूछा , “ गुरु  जी  आप  अन्य  लड़कों  को  नयी -नयी  चीजें  सीखा  रहे  हैं , पर  मैं  अभी  भी  बस  वही  एक  किक  मारने  का  अभ्यास  कर  रहा  हूँ . क्या  मुझे  और  चीजें  नहीं  सीखनी  चाहियें  ?”

गुरु  जी  बोले , “ तुम्हे  बस  इसी  एक  किक  पर  महारथ  हांसिल  करने  की  आवश्यकता  है ”   और वो आगे बढ़ गए.

ओकायो  को  विस्मय हुआ  पर  उसे  अपने  गुरु  में  पूर्ण  विश्वास  था  और  वह  फिर  अभ्यास  में  जुट  गया .
समय  बीतता  गया  और  देखते -देखते  दो  साल  गुजर  गए , पर  ओकायो  उसी  एक  किक  का  अभ्यास  कर  रहा  था . एक  बार  फिर  ओकायो को चिंता होने लगी और उसने  गुरु  से  कहा  , “ क्या  अभी  भी  मैं  बस  यही  करता  रहूँगा  और बाकी सभी  नयी तकनीकों  में  पारंगत  होते  रहेंगे ”

गुरु  जी  बोले , “ तुम्हे  मुझमे  यकीन  है  तो  अभ्यास  जारी  रखो ”

ओकायो ने गुरु कि आज्ञा का पालन करते हुए  बिना कोई प्रश्न  पूछे अगले  6 साल  तक  उसी  एक  किक  का  अभ्यास  जारी  रखा .

सभी को जूडो  सीखते आठ साल हो चुके थे कि तभी एक  दिन  गुरु जी ने सभी शिष्यों को बुलाया और बोले ” मुझे आपको जो ज्ञान देना था वो मैं दे चुका हूँ और अब गुरुकुल  की परंपरा  के  अनुसार सबसे  अच्छे  शिष्य  का  चुनाव  एक प्रतिस्पर्धा के  माध्यम  से किया जायेगा  और जो इसमें विजयी होने वाले शिष्य को  “सेंसेई” की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा.”

प्रतिस्पर्धा आरम्भ हुई.

गुरु जी ओकायो  को  उसके  पहले  मैच में हिस्सा लेने के लिए आवाज़ दी .

ओकायो ने लड़ना शुर किया और खुद  को  आश्चर्यचकित  करते  हुए  उसने  अपने  पहले  दो  मैच  बड़ी  आसानी  से  जीत  लिए . तीसरा मैच  थोडा कठिन  था , लेकिन  कुछ  संघर्ष  के  बाद  विरोधी  ने  कुछ  क्षणों  के  लिए  अपना  ध्यान उस पर से हटा दिया , ओकायो  को  तो  मानो  इसी  मौके  का  इंतज़ार  था  , उसने  अपनी  अचूक  किक  विरोधी  के  ऊपर  जमा  दी  और  मैच  अपने  नाम  कर  लिया . अभी  भी  अपनी  सफलता  से  आश्चर्य  में  पड़े  ओकयो  ने  फाइनल  में  अपनी  जगह  बना  ली .

इस  बार  विरोधी  कहीं अधिक  ताकतवर, अनुभवी  और विशाल   था . देखकर  ऐसा  लगता  था  कि  ओकायो उसके  सामने एक मिनट भी  टिक नहीं  पायेगा .

मैच  शुरू  हुआ  , विरोधी  ओकायो  पर  भारी  पड़ रहा  था , रेफरी  ने  मैच  रोक  कर  विरोधी  को  विजेता  घोषित  करने  का  प्रस्ताव  रखा , लेकिन  तभी  गुरु  जी  ने  उसे रोकते हुए कहा , “ नहीं , मैच  पूरा  चलेगा ”

मैच  फिर  से  शुरू  हुआ .

विरोधी  अतिआत्मविश्वास  से  भरा  हुआ   था  और  अब  ओकायो  को कम आंक रहा था . और इसी  दंभ  में  उसने  एक  भारी  गलती  कर  दी , उसने  अपना  गार्ड  छोड़  दिया !! ओकयो  ने इसका फायदा उठाते हुए आठ  साल  तक  जिस  किक  की प्रैक्टिस  की  थी  उसे  पूरी  ताकत  और सटीकता  के  साथ  विरोधी  के  ऊपर  जड़  दी  और  उसे  ज़मीन पर  धराशाई  कर  दिया . उस  किक  में  इतनी शक्ति  थी  की  विरोधी  वहीँ  मुर्छित  हो  गया  और  ओकायो  को  विजेता  घोषित  कर  दिया  गया .

मैच  जीतने  के  बाद  ओकायो  ने  गुरु  से  पूछा  ,” सेंसेई , भला  मैंने  यह प्रतियोगिता  सिर्फ  एक  मूव  सीख  कर  कैसे  जीत  ली ?”

“ तुम  दो  वजहों  से  जीते ,”  गुरु जी  ने  उत्तर  दिया . “ पहला , तुम  ने जूडो  की  एक  सबसे  कठिन  किक  पर  अपनी इतनी  मास्टरी  कर  ली कि  शायद  ही  इस  दुनिया  में  कोई  और  यह  किक  इतनी  दक्षता   से  मार  पाए , और  दूसरा  कि  इस  किक  से  बचने  का  एक  ही  उपाय  है  , और  वह  है  वोरोधी   के  बाएँ  हाथ  को  पकड़कर  उसे  ज़मीन  पर  गिराना .”

ओकायो  समझ चुका था कि आज उसकी  सबसे  बड़ी  कमजोरी  ही  उसकी  सबसे  बड़ी  ताकत बन  चुकी  थी .


मित्रों human being होने का मतलब ही है imperfect होना. Imperfection अपने आप में बुरी नहीं होती, बुरा होता है हमारा उससे deal करने का तरीका. अगर ओकायो चाहता तो अपने बाएँ हाथ के ना होने का रोना रोकर एक अपाहिज की तरह जीवन बिता सकता था, लेकिन उसने इस वजह से कभी खुद को हीन नहीं महसूस होने दिया. उसमे  अपने सपने को साकार करने की दृढ इच्छा थी और यकीन जानिये जिसके अन्दर यह इच्छा होती है भगवान उसकी मदद के लिए कोई ना कोई गुरु भेज देता है, ऐसा गुरु जो उसकी सबसे बड़ी कमजोरी को ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बना उसके सपने साकार कर सकता है.

Wednesday, 14 March 2012

क्या बनाता है आपको सफल: IQ या EQ ?

Success depends on IQ or EQ ?

क्या बनाता है आपको सफल: IQ या EQ ? 

“It is not the strongest of the species that survives,  nor the most intelligent, but the one most responsive to change.” – Charles Darwin
कहा जाता  है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है  और इस बदलती हुई प्रकृति में  survive केवल  वही प्राणी कर सकता है जो अपने आप को बदलाव के साथ fit या  adjust कर पाए . इसका अर्थ है  ‘survival of the fittest’.
प्रतियोगिता  का  सामना  हमें  हर क्षेत्र  में करना पड़ता है चाहे वो professional life हो, social life  हो या personal life हो .मनुष्य को हर क्षेत्र में अपने आप को विपरीत परिस्थितियों से उबारना पड़ता है. प्राचीन काल से ही सफलता की कसौटी intelligence को माना  जाता रहा है. ऐसा माना जाता है की एक व्यक्ति की IQ और  उसकी सफलता में positive correlation है. यानि अगर IQअधिक  है तो सफल होने की संभावना बढ़ जाती है. दुसरे  शब्दों में अधिक IQ वाला व्यक्ति को कम IQ वाले व्यक्ति से अधिक श्रेष्ट माना जाता है. क्या एक औसत IQ वाला व्यक्ति genious IQ वाले व्यक्ति से अधिक सफल हो सकता है? आप के क्या विचार है ‘बुक स्मार्ट ‘और ‘स्ट्रीट स्मार्ट ‘व्यक्तियों के बारे में? क्या दोनों में कोई अंतर है? तो उत्तर है हाँ अंतर है और वो है EMOTIONAL QUOTIENT या EMOTIONAL INTELLIGENCE( संवेगिक बुद्धि)  का.
IQ आपको सिर्फ academics या अपने educational institution की परीक्षा  में अच्छे अंक दिलवाता है पर EQ आपको अपने जीवन की परीक्षा  में अच्छे अंक दिलवाता है. Emotionally intelligent लोग बदलते पर्यावरण से सबसे जल्दी adapt करते  हैं और इसलिए उनके survive करने की  संभावनाएं  बढ़ जाती हैं. Emotionally intelligent व्यक्ति सिर्फ तथ्य से ही  काम नहीं लेते बल्कि तथ्य के साथ -साथ भावनाओं से भी काम लेते हैं. वे ‘क्या ‘पर अधिक बल देने की बजाये ‘क्यों ‘और ‘कैसे ‘पर अधिक बल देते हैं.  उन्हें पता होता है की हर व्यक्ति अलग है इसलिए individual difference को ध्यान में रखते हुए सबसे  एक जैसा व्यवहार न करते हुए अलग  तरह से  व्यवहार करते हैं. वे अपने emotions के साथ साथ  दूसरों के emotions को भी manage करते हैं. आज के वातावरण में सफल होने के लिए ये आवश्यक है कि आप के अन्दर अच्छे communication और organizational skill हो ताकि आप  अच्छे  निर्णय ले सके और दूसरों से बेहतर तरीके से deal कर पाएं.
EQ या EI  के बारे में सबसे पहले Goleman ने बताया  था .उनका कहना  था कि  जीवन में 20% सफलता  IQ के कारण मिलती है जबकि 80% सफलता  EI के कारण मिलती है. एक बड़ी कंपनी AT & T Bells Labs के मेनेजर को अपने कर्मचारियों को  rank करने के लिए कहा गया तो  high IQ उनकी कसौटी नहीं थी बल्कि उनकी कसौटी थी अच्छे relationships और कितनी बेहतर तरीका से वे  अपने clients से deal करते है. अक्सर स्कूल और कोलेज  में विद्यार्थियों  द्वारा प्राप्त apptitude test scores पर अधिक बल दिया जाता है. पर हम ये भूल जाते हैं की ये टेस्ट सिर्फ कुछ प्रश्नों का एक सेट होते हैं जिन्हें हम विद्यार्थियों की सफलता की कसौटी मान लेते हैं. बहुत  कम ऐसे स्कूल या कोलेज  है जहा emotional intelligence पर कोई program करवाया जाता है. अपनी मशहूर पुस्तक ‘Emotional Intelligence’  में Daniel Goleman ने लिखा है कि एक genious student ने अपने प्रोफेस्सर को सिर्फ इसलिए चाकू मार दिया  था  क्यों कि उन्हों ने उसे परीक्षा में कुछ कम अंक दिए, तो क्या इस तरह की intelligence कभी असली सफलता की कसौटी बन सकती है?Aristotle ने कहा भी है ,”Anyone can become angry- that is easy but to be angry with the right person to the right degree at the right time for the right purpose and in the right way, this is absolutely  not easy.” Goleman ने  ये भी कहा है  कि जो व्यक्ति अपने अन्दर emotional skills develop कर लेते है उनके अपने जीवन में प्रभावशाली होने की और अधिक  संतुष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है.
जिन व्यक्तियों का EQ कम होता है उनका जीवन अपनी परेशानियों को गिनने में ही कट जाता है क्यों कि उनका ध्यान  ‘How’ की जगह ‘What’ पर अधिक रहता है. मानव  जाति के प्रारम्भ  में  मनुष्य  को कई निर्णय  ऐसे लेने  थे . कुछ निर्णय ऐसे थे जिन्हें  लेने से उसकी जान  बच सकती थी  तथा  कुछ निर्णय  ऐसे थे  जिन्हें लेने से उसकी जान जा सकती थी. Studies ये पाया गया है कि  मनुष्य के दिमाग के दो भाग होते हैं , एक  emotional mind और  दूसरा  rational mind. ऐसा माना जाता है कि  emotional mind rational mind से कहीं तेज़ गति  से कार्य  करता है. अगर मनुष्य  का अपने  emotional mind पर  control नहीं होता तो शायद आज  मानव जाति  का कोई अस्तित्व ही नहीं होता. दुर्भाग्य  से खराब  emotional skills और बढ़ते  crime rate में  सीधा सम्बन्ध है. जिन बच्चों की emotional skills develop नहीं हो पाती वो बहुत जल्दी संमाज विरोधी गतिविधियों का शिकार बन जाते हैं. खराब  emotional और  social skills खराब  concentration और  frustration को पैदा  करते हैं  जिस से लोगो के सम्बन्ध बिगड़ते हैं और परिणाम  स्वरुप  performance भी. एक बच्चे के  अन्दर शुरू से ही  emotional skill develop की जा सकती है इस के लिए पूरे परिवार का साथ देना अति आवश्यक है. बच्चो को  अपने  emotions को  manage करने के साथ -साथ दूसरों के emotions का भी ध्यान रखना सिखाया जा सकता है. self control और   delay of gratification  ये सब emotional skill के ही पहलू हैं.  अगर हमे जीवन में सफल होना है तो दूसरों  के emotions को पहचानना  बहुत आवश्यक है. अच्छे emtional skills एक अच्छे  नेता की पहचान होते हैं. बहुत से लोग आपने ऐसे देखे होंगे जिन्होंने अपने  school और college में बहुत  अच्छे अंक प्राप्त किये पर  उनके बहुत ही कम दोस्त होते है और जीवन के  अधिकतर संबंधों  को निभाने में वे विफल  हो  जाते हैं. स्वस्थ सम्बन्ध एक खुशहाल  जीवन का सार है इसलिए  अपने अन्दर ज्यादा  IQ की बजाये EQ या  EI को  develop करने पर बल दें. अब ये  आप पर  निर्भर करता है  कि आप  मात्र  ‘बुद्धिमान ‘ कहलाना चाहते  हैं या  कि ‘समझदार ‘.
My friends, ” It is with the heart that one sees rightly, what is essential is often invisible to eyes”

Friday, 9 March 2012

5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?

5 चीजें  जो  आपको  नहीं  करनी  चाहिए  और  क्यों ?

 

1) दूसरे  की  बुराई  को  enjoy करना 

ये  तो  हम  बचपन  से  सुनते  आ  रहे  हैं  की  दुसरे  के  सामने  तीसरे  की  बुराई  नहीं  करनी  चाहिए , पर  एक और  बात  जो  मुझे  ज़रूरी  लगती  है  वो  ये  कि  यदि  कोई  किसी  और  की  बुराई  कर  रहा  है  तो  हमें  उसमे  interest नहीं  लेना  चाहिए  और  उसे  enjoy नहीं  करना  चाहिए . अगर  आप  उसमे  interest दिखाते  हैं  तो  आप  भी  कहीं  ना  कहीं  negativity को  अपनी  ओर  attract करते  हैं . बेहतर  तो  यही  होगा  की  आप  ऐसे  लोगों  से  दूर  रहे  पर  यदि  साथ  रहना  मजबूरी  हो  तो  आप  ऐसे  topics पर  deaf and dumb हो  जाएं  , सामने  वाला  खुद  बखुद  शांत  हो  जायेगा . For example यदि  कोई  किसी  का  मज़ाक  उड़ा रहा  हो  और  आप  उस पे  हँसे  ही  नहीं  तो  शायद  वो  अगली  बार  आपके  सामने  ऐसा  ना  करे . इस  बात  को  भी  समझिये  की  generally जो  लोग  आपके  सामने  औरों  का  मज़ाक  उड़ाते  हैं  वो  औरों  के  सामने  आपका  भी  मज़ाक  उड़ाते  होंगे . इसलिए  ऐसे  लोगों  को  discourage करना  ही  ठीक  है .
2) अपने  अन्दर  को  दूसरे  के  बाहर  से  compare करना 
इसे  इंसानी  defect कह  लीजिये  या  कुछ  और  पर  सच  ये  है  की  बहुत  सारे  दुखों  का  कारण  हमारा  अपना  दुःख  ना  हो  के  दूसरे   की  ख़ुशी  होती  है . आप  इससे  ऊपर  उठने  की  कोशिश  करिए , इतना  याद  रखिये  की  किसी  व्यक्ति  की  असलियत  सिर्फ  उसे  ही  पता  होती  है , हम  लोगों  के  बाहरी यानि नकली रूप  को  देखते  हैं  और  उसे  अपने  अन्दर के यानि की असली  रूप  से  compare करते  हैं . इसलिए  हमें लगता  है  की  सामने  वाला  हमसे  ज्यादा  खुश  है , पर  हकीकत  ये  है  की  ऐसे  comparison का  कोई  मतलब  ही  नहीं  होता  है . आपको  सिर्फ  अपने  आप  को  improve करते  जाना  है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.
3) किसी  काम  के  लिए  दूसरों  पर  depend करना 
मैंने  कई  बार  देखा  है  की  लोग  अपने  ज़रूरी काम  भी  बस  इसलिए  पूरा  नहीं  कर  पाते क्योंकि  वो  किसी  और  पे  depend करते  हैं . किसी  व्यक्ति  विशेष  पर  depend मत  रहिये . आपका  goal; समय  सीमा  के  अन्दर  task का  complete करना  होना चाहिए  , अब  अगर  आपका  best  friend तत्काल  आपकी  मदद  नहीं  कर  पा  रहा  है  तो  आप  किसी  और  की  मदद  ले  सकते  हैं , या  संभव  हो  तो  आप  अकेले  भी  वो  काम  कर  सकते  हैं .
ऐसा  करने  से  आपका  confidence बढेगा , ऐसे  लोग  जो  छोटे  छोटे  कामों  को  करने  में  आत्मनिर्भर  होते  हैं  वही  आगे  चल  कर  बड़े -बड़े  challenges भी  पार  कर  लेते  हैं , तो  इस  चीज  को  अपनी  habit में  लाइए  : ये  ज़रूरी  है की  काम  पूरा  हो  ये  नहीं  की  किसी  व्यक्ति  विशेष  की  मदद  से  ही  पूरा  हो .
4) जो बीत गया  उस  पर  बार  बार  अफ़सोस  करना
अगर  आपके  साथ  past में  कुछ  ऐसा  हुआ  है  जो  आपको  दुखी  करता  है  तो  उसके  बारे  में  एक  बार  अफ़सोस  करिए…दो  बार  करिए….पर  तीसरी  बार  मत  करिए . उस  incident से जो सीख  ले  सकते  हैं  वो  लीजिये  और  आगे  का  देखिये . जो  लोग  अपना  रोना  दूसरों  के  सामने  बार-बार  रोते  हैं  उसके  साथ  लोग  sympathy दिखाने  की  बजाये उससे कटने  लगते  हैं . हर  किसी  की  अपनी  समस्याएं  हैं  और  कोई  भी  ऐसे  लोगों  को  नहीं  पसंद  करता  जो  life को  happy बनाने  की  जगह  sad बनाए . और  अगर  आप  ऐसा  करते  हैं  तो  किसी  और  से  ज्यादा  आप ही  का  नुकसान  होता  है . आप  past में  ही  फंसे  रह  जाते  हैं , और  ना  इस  पल  को  जी  पाते  हैं  और  ना  future के  लिए  खुद  को prepare कर  पाते  हैं .
5) जो  नहीं  चाहते  हैं  उसपर  focus करना 
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है.  इसलिए   आप  जो  होते  देखना  चाहते  हैं  उस  पर  focus करिए , उस  बारे  में  बात  करिए  ना  की  ऐसी  चीजें  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं . For example: यदि  आप अपनी  income बढ़ाना  चाहते  हैं  तो  बढती  महंगाई  और  खर्चों  पर  हर  वक़्त  मत  बात  कीजिये  बल्कि  नयी  opportunities और  income generating ideas पर  बात  कीजिये .
इन  बातों पर  ध्यान  देने  से  आप  Self Improvement के  रास्ते  पर  और  भी  तेजी  से  बढ़ पायेंगे  और  अपनी  life को  खुशहाल  बना  पायेंगे .

 

Thursday, 8 March 2012

पत्नी के साथ मधुर सम्बन्ध रखें

पत्नी के साथ मधुर सम्बन्ध रखें  
मैने अनुभव से जाना है कि पति दो तरह के होते हैं - ( १ ) गनेशजी तथा ( २ ) गोबर गनेश . गणेश जी के समान पति उच्च विचार रखते हैं ( बड़ा सिर), अधिक सुनते हैं ( बड़े कान ), कम बोलते हैं ( छोटा मुह ), अधिक एकाग्रचित (छोटी आंखे ) होते हैं ,'धन्यवाद ' ( लड्डू ), ईमानदार ( कमल का फूल ) होते हैं ; मधुर शब्दों का इस्तेमाल करते है ( सुगंध ), धैर्यवान ( आशीर्वाद की मुद्रा मे हाथ ) होते हैं . जो व्यक्ति ऐसे गुणों से सम्पन्न नहीं होते हैं या कोई भी गुण नहीं रखते हैं ,वे गोबर गणेश होते हैं . इसलिए , हमें कुछ अच्छी आदतें विकसित करनी हैं ,अभी बहुत देर नहीं हुआ है .

अनेक पति महसूस करते है की पत्नी को खुश रखना  लगभग नामुमकिन है . उनके इस रवैये से मैं सहमत हूँ . शायद शादी के पहले तीन वर्षों में पत्नी को खुश रखना संभव है . निश्चित रूप से इसका सरल समाधान है तथा इसका आसानी से पालन किया जा सकता है . यद्यपि मैं यह महसूस करता हूँ कि परम शक्ति ने जान बुझ कर इसके खिलाफ हमारे मन को प्रोग्राम किया है .

पत्नी को प्रसन्न रखने के लिए कुछ सूत्र :-
1 .सबसे पहले जो वह कहती हैं , वही करें . हर सुबह अपनी पत्नी से पूछें कि क्या कोई ऐसा काम है , जो वह आपसे करवाना चाहती हैं ? यह जाहिर करें कि आप उनका ध्यान रखते हैं . यह बहुत आसान है . समझ -बूझ से काम लें . आपकी पत्नी कि नजर में अपने बिजीनेस के सिलसिले में किसी ग्राहक से मिलने के बजाय अपनी बेटी के स्कूल कि अध्यापिका से मिलना ज्यादा जरुरी है .

२. अपनी गलतियों को मान लें . अपनी गलती पर माफी मांगना या सॉरी कहना सीखें .यदि आपकी गलती नहीं है , तब भी सॉरी कहने से आप छोटे नहीं हो जाते . यदि आप सोचते है कि वह 70 % गलत है ,तब भी सॉरी कहने से क्या फर्क पड़ता है . इस भद्र व्यवहार से आपके संबंधों में मिठाश बढेगी .

3 . मुस्कुराएँ, हसें सारी दुनिया आपके साथ हसेंगी, लेकिन आपको रोना अकेले पड़ेगा. हम इसलिए नहीं मुस्कुराते ,क्योंकि हम खुश हैं ; बल्कि हम इसलिए खुश हैं ,क्योकि हम मुस्कुराते हैं . हमारे पास जो कुछ हैं, उसके बारे में सोचें . हमें जीवन में जो सुख आराम मिला है , उसके लिए हमें इश्वर का आभारी होना चाहिए . सोचें, आभार व्यक्त करें  और मुस्कुराएँ . ऊचें स्वर में शाबाशी दे . जब हम मुश्किल दौर से गुजर रहे हों तब भी मुस्कुराएँ !

4 . जल्दी निर्णय लें . उदहारण के लिए , मेरी पत्नी की रोज -रोज की समस्या यह है कि वह रोज मुझसे पूछती है कि " आज डिनर में क्या बनाऊं  या कौन सी साड़ी पहनूं ?" पहले में अक्सर कहता था कि " तुम मुझे क्यों परेशां करती हो ?" वह परेशां हो जाती . वक्त ने मुझे अधिक बुद्धिमान बना दिया . अब , जब भी वह मुझसे यह सवाल करती हैं ," आज डिनर में क्या बनाऊं ?" या ऐसे ही फिजूल के सवाल पूछती है ,जो शायद उसके लिए खास हैं तो मैं यह पूछता हूँ ," मैडम ,आप बताएं कि आप क्या बना सकती हैं ?" और वह कुछ चीजों के नाम लेतीं  तथा मैं ही कुछ चीजें चुन लेता हूँ . अधिकान्स्तः इस तकनीक का असर हुआ . निर्णय लेना बहुत मुश्किल काम है .

5 . सेब से सीखें :- क्या आपने हर तरह से परिपूर्ण सेब देखा है ? इसी तरह से आपको सर्वगुण - सम्पन्न पत्नी नहीं मिल सकती ! पत्नी की कमियों पर ध्यान देने के बजाय उसके गुणों की सराहना करें. हो सकता है कि आपको ऐसा सेब मिले , जो देखने में बहुत बडियां है. लेकिन जब तक उसे काटते नहीं तब तक सेब के बारे में कुछ नहीं कह सकते . हो सकता है भीतर से सेब सडा निकले . हम आसानी से एक दो जगह से दागी सेब चुन सकते हैं और बाद में वे दाग चाकू से हटा देते हैं , न कि हम ऐसा सेब धुंडते रहते है, जो भीतर या बाहर से बेदाग हो. मैं आपको केवल यही बताना चाहता हूँ कि आपको हर दृष्टि से एक उत्तम सेब नहीं मिल सकता . इसी तरह यह संभव नहीं है कि किसी पुरुष को सर्वगुण सम्पन्न पत्नी मिलेगी या महिला को सर्वगुण सम्पन्न पति मिलेगा . आप अपने 'मानसिक चाकू ' से  पत्नी कि बुराइयों को हटा दें , उसके 96 % गुणों पर ध्यान दें .  

6 . अपनी पत्नी को प्रोत्साहित करें . उसे अपने गुणों कि विकसित करने का मौका दें . उसे अपनी छिपी प्रतिभा को पहचानने दें . कुछ मामलों में यह वाश्त्विक नहीं लगता , लेकिन यह संभव है . इसका बहुत अच्छा अंजाम निकलेगा . उसे समाज सेवा करने के लिए प्रोत्शाहित करें . उसकी सफलता का आनंद उठाएं . कोशिश करके देखें .

7 . जब आपकी पत्नी चिल्लाये उस समय शांत रहें . वह जानती है कि दुनिया में आप ही अकेले इंसान हैं , जो उसकी बात सुन लेते हैं . यह आधुनिक जीवन का हिस्सा है . आप उसका ' पंचिंग बैग ' बनें . अंततः वह आपकी सौभाग्यवती जीवन - संगिनी बनेगी . 

Friday, 2 March 2012

अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …………

अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …………

 

अधूरापन शब्द सुनते ही मन में एक negative thought  आ जाती है. क्योंकि यह शब्द अपने आप में जीवन की किसी कमी को दर्शाता है. पर सोचिये कि अगर ये थोड़ी सी कमी जीवन में ना हो तो जीवन खत्म सा नहीं हो जायेगा?
अगर आप ध्यान दीजिए तो आदमी को काम करने के  लिए प्रेरित  ही यह कमी करती है. कोई भी कदम, हम इस खालीपन को भरने की दिशा में ही उठाते हैं.Psychologistsका कहना है कि मनुष्य के अंदर कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे किसी भी नकारात्मक भाव से दूर जाने और available options  में से  best option  चुनने के लिए प्रेरित करती हैं. कोई भी चीज़ जो life में असंतुलन लाती है , आदमी उसे संतुलन  की दिशा में ले जाने की कोशिशकरता है.
अगर कमी ना हो तो ज़रूरत नहीं होगी, ज़रूरत नहीं होगी तो आकर्षण नहीं होगा, और अगर आकर्षण नहीं होगा तो लक्ष्य भी नहीं होगा.अगर भूख ना लगे तो खाने की तरफ जाने का सवाल ही  नहीं पैदा होता. इसलिए अपने जीवन की किसी भी कमी को negative ढंग से देखना सही नहीं है. असल बात तो ये है कि ये कमी या अधूरापन हमारे लिए एक प्रेरक का काम करता है.

कमियां सबके जीवन में होती हैं बस उसके रूप और स्तर अलग-अलग होते हैं. और इस दुनिया का हर काम उसी कमी को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा. चाहे जैसा भी व्यवहार हो , रोज का काम  हो, office जाना हो, प्रेम सम्बन्ध हो या किसी से नए रिश्ते बनान हो सारे काम जीवन के उस खालीपन को भरने कि दिशा में किये जाते है. हाँ, ये ज़रूर हो सकता है कि कुछ लोग उस कमी के पूरा हो जाने के बाद भी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं.

आप किसी भी घटना को ले लीजिए आज़ादी की लड़ाई, कोई क्रांति ,छोटे अपराध, बड़े अपराध या कोई परोपकार, हर काम किसी न किसी अधूरेपन को दूर करने के लिए हैं.कई शोधों से तो ये तक proof  हो चुका है कि व्यक्ति किस तरह के कपड़े पहनता है, किस तरह कि किताब पढता है, किस तरह का कार्यक्रम देखना पसंद करता है और कैसी संस्था से जुड़ा है ये सब अपने जीवन की उस कमी को दूर करने से सम्बंधित है.
महान  psychologist Maslow(मैस्लो)  ने कहा है कि व्यक्ति का जीवन पांच प्रकार कि ज़रूरतों  के आस – पास घूमता है.



 पहली मौलिक ज़रूरतें; भूख, प्यास और सेक्स की.
दूसरी सुरक्षा की
तीसरी संबंधों या प्रेम की ,
चौथी आत्मा-सम्मान की
और पांचवी आत्मसिद्धि (self-actualization) की  जिसमे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग करता है.
ज़रूरी नहीं की  हम अपने जीवन में Maslow’s Hierarchy of needs में बताई गयी सारी stages  तक पहुँच पाएं और हर कमी को दूर कर पाएं, पर प्रयास ज़रूर करते हैं.
कई घटनाएँ ऐसी सुनने में आती हैं जहाँ लोगों ने अपने जीवन की  कमियों को अपनी ताकत में बदला हैं और जिसके कारण पूरी दुनियां उन्हें जानती है  जिसमे Albert Einstein और  Abraham Lincoln  का नाम सबसे ऊपर आता है.
Albert Einstein जन्म से ही learning disability का शिकार थे , वह चार साल तक बोल नहीं पाते थे और नौ साल तक उन्हें पढ़ना नहीं आता था. College Entrance के पहले attempt में वो fail भी हो गए थे. पर फिर भी उन्होंने जो कर दिखाया वह अतुलनीय है.
Abraham Lincoln ने अपने जीवन में health से related कई problems face कीं. उन्होंने अपने जीवन में कई बार हार का मुंह देखा यहाँ तक की एक बार उनका nervous break-down भी हो गया,पर फिर भी वे 52 साल की उम्र में अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने.
सच ही है अगर इंसान चाहे तो अपने जीवन के अधूरेपन को ही अपनी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बना सकता है .
जो अधूरापन हमें जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे , भला वह negative कैसे हो सकता है.

“ज़रा सोचिये! कि अगर ये थोडा सा अधूरापन हमारे जीवन में न हो तो जीवन कितना अधूरा हो जाये !!!!”

स्वयं से प्रेम करें …………

स्वयं से प्रेम करें …………

success is not the key to happiness but happiness is the key to success

प्रसन्न रहना ही सफल जीवन का राज़ है. ईश्वर ने मनुष्य को बहुत सारी खूबियाँ और अच्छाइयां दी हैं. मनुष्य वो प्राणी है जिसके अन्दर सोचने की और समझने की अपार क्षमता है. जो जीवन को बस यूँ ही जीना या व्यर्थ करना नहीं चाहता. हर व्यक्ति के अन्दर एक बहुत ही प्रबल इच्छा होती है सफल होने की, कुछ कर दिखाने की और अपनी एक पहचान पाने की. कुछ लोग अपनी इस इच्छा को दिन पर दिन बढ़ाते हैं और कुछ लोग समाज या परिश्रम के डर से इसे दबा देते हैं. पर अपने आप से पूछ कर देखिये कि कौन ऐसा जीवन जीना नहीं चाहता जिसमे लोग आप से प्रेम करें और आप को पहचाने. सफलता के कई सारे कारण होते हैं जैसे   द्रिढ़ निश्चय, मेहनत करना, सपने देखना और उन्हें पूर्ण करने की दिशा में कार्य करना, सच्चाई, इमानदारी,जोखिम उठाने की क्षमता इत्यादि.
पर सफलता का एक ऐसा कारक भी है जिसे हम अक्सर नज़रंदाज़ कर देते हैं और वो है स्वयं से प्रेम करना. अपने आप से प्रेम करना और अपना आदर करना सफल व्यक्तियों का एक बहुत ही प्रबल गुण होता है.
कभी आराम से बैठ कर सोचिये कि किस से सबसे अधिक प्रेम करते हैं आप? whom do you love most? ये बात अगर आप किसी से पूछें तो आम तौर पर जवाब आयेगा my parents, my children, my spouse etc etc जितने लोग उतने जवाब. अगर आप गहराई से सोचें तो इस प्रश्न का आप को एक ऐसा उत्तर मिलेगा जिसे आप मुश्किल से ही accept कर पाएंगे. और वो जवाब है ‘अपने आप से’. जी हाँ! इस दुनिया में सबसे अधिक प्रेम आप स्वयं से ही करते हैं. अगर देखा जाये तो हर छोटे से छोटा औए बड़े से बड़ा काम हम अपनी ख़ुशी के लिए ही तो करते है? चाहे वो विवाह के बंधन में बंधना हो, कोई नौकरी करना हो, माँ बनना हो, किसी की मदद करना हो, किसी को दुखी करना हो कुछ भी. हाँ! अंतर सिर्फ ख़ुशी पाने के स्रोत में होता है कुछ को दूसरों को ख़ुशी दे कर सुख मिलता है और कुछ को दूसरों के कष्ट से. महात्मा गाँधी, मदर टेरेसा और दुनिया के कई समाज सुधारक क्या इन्होनें अपनी ख़ुशी के बारे में नहीं सोचा? निःसंदेह सोचा, ये वे लोग थे जिन्हें दूसरों को प्रसन्न देख कर ख़ुशी मिलती थी. कुछ लोग स्वयं से प्रेम करने को अनुचित समझते हैं क्यों कि लोगों के मन में अक्सर ये धारणा रहती है कि जो व्यक्ति स्वयं से प्रेम करता है वो selfish होता है और दूसरों से प्रेम कर ही नहीं सकता. तो इसका उत्तर ये है कि अपने आप से प्रेम करना कभी ग़लत हो ही नहीं सकता क्यों कि जो व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं करता वो किसी और से सच्चा प्रेम कर ही नहीं सकता. जो अपने आप से संतुष्ट नहीं वो किसी और को संतुष्ट कैसे रख सकता है?
‘unless you fill yourself up first you will have nothing to give to anybody’
अपने आप से प्रेम करने का अर्थ है स्वयं को निखारना, अपने अन्दर की अच्छाइयों को खोजना, अपने लिए सम्मान प्राप्त करना, अपना self statement positive रखना, अपने आप को प्रेरित करते रहना और अपने साथ हुई हर अच्छी बुरी घटना की जिम्मेदारी खुद पे लेना. ये हमेशा याद रखिये कि आप दूसरों को प्रेम और सम्मान तभी बाँट पाएंगे जब आप के पास वो वस्तु प्रचुर मात्र में होगी.स्वयं से प्रेम करना उतना ही स्वाभाविक है जिंतना कि सांस लेना. Bible में कहा भी गया है कि हमें दूसरों से भी उतना ही प्रेम करना चाहिए जितना हम स्वयं से करते हैं. परन्तु कभी – कभी हम अपने आप से प्रेम करना भूल जाते हैं. मशहूर psychologist Sigmund Freud ने मनुष्य के अन्दर दो प्रकार की instinct का ज़िक्र किया है एक constructive और एक distructive. कुछ लोग अपनी भावनाओं का प्रदर्शन constructive तरीके से करते हैं, उन लोगों को अच्छे कार्य करके प्रसन्नता मिलती है और कुछ लोगों को विनाश कर के और दूसरों को तकलीफ पहुंचा कर. अगर आप कोई भी distructive कार्य कर रहे हैं , अपने आप को उदास बनाये हुए हैं और अपने जीवन से निराश हैं तो आप स्वयं से प्रेम नहीं करते. जो व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं करता वो दूसरों को तो प्रेम दे ही नहीं सकता क्यों कि किसी भी भाव को जब तक आप अपने ऊपर अजमा कर नहीं देखेंगे , उसका स्वाद खुद नहीं चखेंगे तब तक दूसरों के सामने उसे बेहतर बना कर कैसे पेश करेंगे. स्वयं से प्रेम करने का अर्थ ‘मैं ’ से नहीं है बल्कि इसका अर्थ है अपनी अच्छाइयों को पहचान कर उसे बहार निकलना और सही अर्थ में अपने आप को grow करना. मनोचिकित्सा में भी अपने जीवन से निराश और depressed patients के उपचार के लिए उन्हें अपने जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने के लिए अर्थहीनता को दूर करने के लिए कहा जाता है. ज़रा सोचिये कि वो कौन सी मनःस्थिति होती होगी जिसमें मनुष्य आत्म हत्या करने कि ठान लेता है? ऐसी स्थिति केवल और केवल तभी उत्पन्न होती है जब मनुष्य का स्वयं से कोई लगाव नहीं रह जाता. वह किसी वजह से अपने आप से घृणा करने लगता है और अपने आप को दंड देता है. तो सोचिये! कि अपने आप से प्रेम करना कितना ज़रूरी है क्यों कि जिस दिन आप स्वयं से प्रेम करना छोड़ देंगे उस दिन आपके जीवन का अस्तित्व भी नहीं रहेगा क्यों कि ‘it is impossible that one should love god but not love oneself’. क्यों कि अपने जीवन की शुरुआत भी आप से ही है और अंत भी आप से. इसलिए ईश्वर से हमेशा प्रार्थना करनी चाहिए कि वो हमें ऐसे कार्य करने की शक्ति दे जिस से हम स्वयं का आदर कर पाएं. कहा भी गया है कि………
“हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें, दूसरों के जय से पहले खुद को जय करें.”

 

Friday, 3 February 2012

HOW TO GET PREGNANT (गर्भवती कैसे बनें ? )

 

पहले आपको Pregnancy  से  related  कुछ  facts  बता देता हूँ:                     

  • जितने भी लोग बच्चा पैदा करना चाहते हैं , उनमे से लगभग  85%  लोग एक साल के अन्दर ऐसा करने में सफल हो जाते हैं. जिसमे से 22 % लोग तो पहले महीने के अन्दर ही सफल हो जाते हैं. यदि एक साल तक प्रयास करने पर भी बच्चा ना हो तो यह समस्य का विषय हो सकता है , और ऐसे  couples  को  infertile  समझा जाता हैं.
  • बच्चा पैदा होने के लिए couples  के बीच सेक्स(सम्भोग /intercourse)  का होना अनिवार्य है. और इसके दौरान पुरुष का penis  (लिंग)  इस्त्री के  vagina (योनी)  में जाना चाहिए और  उसे  इस्त्री के vagina  में sperm ( शुक्राणु ) छोड़ने होंगे , जिससे sperm ,uterus(गर्भाशय) के मुख के पास इकठ्ठा हो जायेगा. यह प्रक्रिया सेक्स के दौरान स्वत: ही हो जाती  है , इसलिए इसकी चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है.
  • इसके आलावा सम्भोग  ovaluation  के समय के आस-पास होना चाहिए. Ovaluation एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे महिलाओं के Ovary (अंडाशय ) से egg ( अंडे) निकलते हैं.Ovulation menstruation cycle(MC) यानि मासिक धर्म चक्र का पार्ट होता है, जो कि MC  के चौदहवें दिन, जब bleeding start  हो जाती है तब शुरू होता है.
बच्चा पैदा करने के लिए महिलाओं में सेक्स के दौरान orgasm  होना अनिवार्य नहीं है. Doctors  का कहना है कि दरअसल fallopian tube  जो कि अंडे को ovary से  uterus तक ले जाता है , sperm  को अपने अन्दर खींच ले जाता है और उसे egg  से मिलाने की कोशिश करता है. और इसके लिए महिलाओं में orgasm  का आना जरूरी नहीं है.
                   Female Anatomy

9 Tips to get pregnant in Hindi :
1) Doctor  से जांच कराएं :
 बच्चे कि  planning  करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लेना और अपनी जांच करा लेना चाहिए . इससे यह पता चल जायगा कि आपको किसी तरह कि शारीरिक परेशानी तो नहीं है , या कोई infection वगैरह. इससे sexually transmitted disease होने की सम्भावना ख़तम हो जाएगी. साथ ही अगर डिम्बग्रंथि अल्सर, फाइब्रॉएड, endometriosis, गर्भाशय के अस्तर की सूजन जैसे परेशानियों की भी जांच हो जाएगी.
2) Ovulation के समय के आस-पास  sex  करें
Gynecologists  का मानना है कि बच्चा पैदा करने के लिए  इस्त्री के eggs  ovary  से निकलने के  24  घंटे के अन्दर ही fertilize  होने चाहियें.  आदमी के  sperms  औरत के reproductive tract  (प्रजनन पथ)  में 48 से  72  घंटे तक ही जीवित रह सकते हैं. चूँकि बच्चा पैदा करने के लिए आवश्यक embryo (भ्रूण ) egg  और  sperm  के मिलन से ही बनता है , इसलिए couples  को ovulation  के दौरान कम से कम 72  घंटे में एक  बार ज़रूर sex  करना चाहिए और इस दौरान पुरुष को इस्त्री के ऊपर होना चाहिए ताकि sperms के leakage की सम्भावना कम हो. साथ ही पुरुषों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो  48  घंटे में   एक बार से ज्यादा ना ejaculate  करें  वरना उनका sperm count  काफी नीचे जा सकता है , जो हो सकता है कि egg  जो fertilize  करने में पर्याप्त ना हो.
 Ovulation का  समय कैसे पता  करें ?
 Ovulation  का समय पता करने का अर्थ है उस समय का पता करना जब ovaries  से fertilization  के लिए तैयार  egg  निकले. इसे जानने के लिए आपको अपने period-cycle (मासिक-धर्म) का अंदाजा होना चाहिए. यह 24  से  40 दिन के बीच हो सकता है.  अब यदि आप को अपने next period  के आने का अंदाजा है तो आप उससे 12 से 16  दिन पहले का समय पता कर लीजिये , यही आपका  ovulation का समय होगा .
For Example:   यदि period  की शुरुआत 30  तारीख को होनी है तो  14  से 18  तारिख का समय ovulation  का समय होगा.
बच्चा पैदा करने के लिए उपयुक्त समय का पता करने का एक और तरीका है :
Vagina से निकलने वाले चिपचिपे तरल को अपने ऊँगली पर लीजिये और उसकी elasticity check  कीजिये, जब ये अधिक और देर तक लचीला रहे तो समझ जाइये कि ovulation हुआ है और अब आप बच्चा पैदा करने के लिए सम्भोग कर सकते हैं.
3) एक  healthy lifestyle बनाए रखें.
बच्चा पैदा करने के chances  बढ़ाने के लिए बेहद आवश्यक है कि  पति-पत्नी  एक स्वस्थ्य- जीवनशैली बनाये रखें. इससे   होने वाली संतान भी अच्छी होगी. खाने – पीने में पर्याप्त भोजन और फल की मात्रा रखें . Vitamins  कि सही मात्र से पुरुष-स्त्री दोनों की  fertility rate  बढती है .रोजाना व्यायाम करने से भी फायदा होता है.
सिगरेट पीने वाली महिलाओं में conceive  करने के chances   40 % तक घट जाते हैं
4) Stress-free (तनाव-मुक्त) रहने का प्रयास करें:
इसमें कोई शक नहीं है कि अत्यधिक तनाव आपके reproductive function  में बाधा डालेगा. तनाव से कामेक्षा ख़तम हो सकती है , और extreme conditions  में स्त्रियों में  menstruation  कि प्रक्रिया को रोक सकती है. एक शांत मन आपके शरीर पर अच्छा प्रभाव डालता है और आपके pregnant  होने की सम्भावना को बढ़ता है. इसके लिए आप regularly  breathing- exercises और  relaxation techniques  का प्रयोग कर सकती हैं.
5) Testicles  (अंडकोष)को ज्यादा heat  से बचाएँ :
यदि sperms  ज्यादा तापमान में expose  हो जायें तो वो मृत हो सकते हैं. इसीलिए testicles (जहाँ sperms  का निर्माण होता है)  body  के बहार होते हैं ताकि वो ठंढे रह सकें.  गाड़ी चलते समय ऐसे beaded सीट का प्रयोग करें जिसमे से थोड़ी हवा पास हो सके. और बहुत ज्यादा गरम पानी से इस अंग को ना धोएं .वैसे आम तौर पर इतना अधिक  precaution  लेने की ज़रुरत नहीं है पर जो लोग आग की भट्टी या किसी गरम स्थान पर देर तक काम करते हैं उन्हें सावधान रहने की ज़रुरत है. X-Ray technicians को हमेशा lead coat पहन कर काम करना चाहिए अन्यथा बच्चे में जन्मजात विसंगतियां हो सकती हैं.
6) सेक्स के बाद थोड़ी देर आराम करें:
सेक्स के बाद थोड़ी देर लेटे रहने से महिलाओं कि योनी से sperms  के निकलने के chances नहीं  रहते. इसलिए  सेक्स के बाद 15-20 मिनट लेटे रहना ठीक रहता है.
7)  किसी तरह का नशा ना करे:
 ड्रग्स , नशीली दवाओं, सिगरेट या शराब के सेवन आदमी-औरत , दोनों के  hormones  का संतुलन बिगड़ सकता है. और आपकी प्रजनन क्षमता को बुरी तरह  प्रभावित कर सकता है.और बच्चों में भी  जन्मजात विसंगतियां हो सकती हैं.
8)  दवाओं का प्रयोग कम से कम करें :
कई दवाइयां , यहाँ तक कि आराम से मिल जाने वाली आम दवाइयां भी आपकी fertility  पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं.कई चीजें ovulation  को रोक सकती हैं , इसलिए दवाओं का उपयोग कम से कम करें. बेहतर होगा कि आप किसी भी दावा को लेने या छोड़ने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें.खुद अपना इलाज करना घातक हो सकता है, ऐसा risk  ना लें.
9) Lubricants को avoid करें: 
 Vagina  को  lubricate  में प्रयोग होने वाले कुछ ज़ेल्स, तरल पदार्थ , इत्यादि sperms  को महिलाओं की reproductive tract  में travel  करने में बाधक हो सकते हैं. इसलिए इनका प्रयोग अपने डाक्टर से पूछ कर ही करें.वैसे किसी artificial lubricant  का प्रयोग करने की आवश्यकता ही नहीं है, क्योंकि orgasm के दौरान शरीर खुद ही पर्याप्त मात्रा में liquid produce करता है जो sperm और  ova  दोनों के लिए healthy होता है.

उम्मीद है आपको इस जानकारी से लाभ मिलेगा.Thanks.