Sunday 14 October 2012

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो

एक  बौद्ध भिक्षुक भोजन  बनाने  के  लिए  जंगल  से  लकड़ियाँ  चुन  रहा  था कि  तभी  उसने  कुछ अनोखा   देखा ,
Motivational Hindi Story Hindi Kahaani
शेर लोमड़ी और भिक्षुक
“कितना अजीब है ये  !”, उसने   बिना  पैरों  की  लोमड़ी  को  देखते  हुए  मन  ही  मन   सोचा .
“ आखिर  इस  हालत  में  ये  जिंदा  कैसे  है ?” उसे  आशचर्य  हुआ , “ और  ऊपर  से  ये  बिलकुल   स्वस्थ  है ”
वह  अपने ख़यालों  में  खोया  हुआ  था  की   अचानक  चारो  तरफ  अफरा – तफरी  मचने  लगी ;  जंगल  का  रजा  शेर  उस  तरफ  आ  रहा  था .  भिक्षुक भी  तेजी  दिखाते  हुए  एक  ऊँचे  पेड़  पर  चढ़  गया , और  वहीँ  से  सब  कुछ  देखने  लगा .
 शेर  ने  एक हिरन  का  शिकार  किया  था  और  उसे  अपने  जबड़े  में  दबा  कर  लोमड़ी  की  तरफ   बढ़  रहा  था , पर  उसने  लोमड़ी   पर  हमला  नहीं  किया  बल्कि  उसे  भी  खाने के  लिए  मांस  के   कुछ  टुकड़े  डाल  दिए .
“ ये  तो घोर आश्चर्य है , शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है .” , भिक्षुक बुदबुदाया,उसे  अपनी  आँखों  पर  भरोसा  नहीं  हो  रहा  था  इसलिए  वह  अगले  दिन  फिर  वहीँ  आया  और  छिप  कर  शेर  का  इंतज़ार  करने  लगा .  आज  भी  वैसा  ही  हुआ , शेर  ने  अपने  शिकार  का  कुछ  हिस्सा  लोमड़ी  के  सामने  डाल   दिया .
“यह  भगवान्  के  होने  का  प्रमाण  है !” भिक्षुक  ने  अपने  आप  से  कहा . “ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है , आज  से  इस  लोमड़ी  की  तरह  मैं  भी  ऊपर  वाले  की दया पर जीऊंगा , इश्वर  मेरे  भी  भोजन   की  व्यवस्था करेगा .” और  ऐसा  सोचते  हुए  वह  एक   वीरान  जगह  पर जाकर एक पेड़  के नीचे  बैठ  गया .
पहला  दिन  बीता  , पर  कोई  वहां  नहीं  आया ,  दूसरे  दिन  भी  कुछ  लोग  उधर  से  गुजर  गए  पर  भिक्षुक  की  तरफ  किसी  ने  ध्यान  नहीं  दिया . इधर  बिना  कुछ  खाए -पीये  वह  कमजोर  होता  जा  रहा  था . इसी तरह कुछ  और  दिन  बीत  गए , अब  तो  उसकी  रही  सही  ताकत  भी  खत्म  हो  गयी …वह  चलने -फिरने  के  लायक  भी  नहीं  रहा .  उसकी  हालत बिलकुल  मृत  व्यक्ति  की  तरह  हो  चुकी  थी  की  तभी  एक  महात्मा  उधर  से  गुजरे  और  भिक्षुक  के  पास  पहुंचे .
उसने अपनी सारी कहानी  महात्मा  जी  को  सुनाई  और  बोला , “ अब  आप  ही  बताइए कि  भगवान्  इतना  निर्दयी  कैसे  हो  सकते  हैं , क्या  किसी  व्यक्ति  को  इस  हालत  में पहुंचाना  पाप  नहीं  है ?”
“ बिल्कुल है ,”, महात्मा  जी ने  कहा , “ लेकिन  तुम इतना  मूर्ख  कैसे  हो  सकते  हो ? तुमने  ये  क्यों  नहीं  समझे  की  भगवान्  तुम्हे  उसे  शेर  की  तरह  बनते  देखना  चाहते  थे , लोमड़ी  की  तरह  नहीं !!!”
 दोस्तों , हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं. ईश्वर  ने हम सभी के अन्दर कुछ न  कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं , ज़रुरत हैं कि  हम उन्हें पहचाने , उस भिक्षुक का सौभाग्य था की उसे उसकी गलती का अहसास कराने के लिए महात्मा जी मिल गए पर हमें खुद भी चौकन्ना रहना चाहिए की कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं.


Mr.Rishi Kumar
Founder & Chief Executive Officer
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt. Ltd