Saturday 1 November 2014

Ek lamha men ek manzar guzar jata hai. 
Jab koi apna begana nazar aata hai.
Yu to awaz aati hai har shishe ke tutne ki.
Par Kabhi Kabhi bina awaz ke bhi sab kuch toot jata hai...



Bdi hseen thi zindgi jab na kisi se muhabbt na kisi se nafrat thi
zindgi me ek mod aisa aaya muhabbat ek se hui or nafrat sari dunia se ho gai.



zakham ki baat nahi hai
jaane dard kyon hota hai
dhokhe ki baat nahi hai
jaane ehaas kyon hota hai
jante huye ki bewafi hai 
na jane phir b pyar kyon hota hai



Rishte tut kar choor choor ho gaye,
dhire dhire wo hmse door ho gaye,
hmari khamoshi hmare liye gunah bn gyi
or wo gunah kr k beksur h gaye


Humne bhi kabhi pyar kiya tha, 
thoda nai besumar kiya tha, 
dil tut kar reh gaya, 
jab usne kaha,aree Maine to Majak kiya tha



Teri yaad ne hame jeene na diya,
Chain se humko ab marne na diya,
Hum peete hai teri yaad me zalim,
Par iss duniya ne hame peene na diya,



Jub Kuch Sapne Adhure Reh Jate H,
Tab Dil K Drd Aansu Ban K Beh Jate H,
Jo Kehte H K Hum Sirf Ap K H,
Pata Nahi Wo Kaise Alvida Keh Jate H.




Mr.Rishi Kumar
(Founder & CEO)
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
Wealthpro Financial Consultants Pvt. Ltd.

Friday 31 October 2014

ग्लास को नीचे रख दीजिये

ग्लास को नीचे रख दीजिये 


एक प्रोफ़ेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़ते  हुए class शुरू की . उन्होंने उसे ऊपर उठा कर सभी students को दिखाया और पूछा , ” आपके हिसाब से glass का वज़न कितना होगा?”
’50gm….100gm…125gm’…छात्रों ने उत्तर दिया.
” जब तक मैं इसका वज़न ना कर लूँ  मुझे इसका सही वज़न नहीं बता सकता”. प्रोफ़ेसर ने कहा. ” पर मेरा सवाल है:
यदि मैं इस ग्लास को थोड़ी देर तक  इसी तरह उठा कर पकडे रहूँ तो क्या होगा ?”
‘कुछ नहीं’ …छात्रों ने कहा.
‘अच्छा , अगर मैं इसे मैं इसी तरह एक घंटे तक उठाये रहूँ तो क्या होगा ?” , प्रोफ़ेसर ने पूछा.
‘आपका हाथ दर्द होने लगेगा’, एक छात्र ने कहा.
” तुम सही हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह पूरे दिन उठाये रहूँ तो का होगा?”
” आपका हाथ सुन्न हो सकता है, आपके muscle में भारी तनाव आ सकता है , लकवा मार सकता है और पक्का आपको hospital जाना पड़ सकता है”….किसी छात्र ने कहा, और बाकी सभी हंस पड़े…
“बहुत अच्छा , पर क्या इस दौरान glass का वज़न बदला?” प्रोफ़ेसर ने पूछा.
उत्तर आया ..”नहीं”
” तब भला हाथ में दर्द और मांशपेशियों में तनाव क्यों आया?”
Students अचरज में पड़ गए.
फिर प्रोफ़ेसर ने पूछा ” अब दर्द से निजात पाने के लिए मैं क्या करूँ?”
” ग्लास को नीचे रख दीजिये! एक छात्र ने कहा.
” बिलकुल सही!” प्रोफ़ेसर ने कहा.
Life की problems भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ देर तक अपने दिमाग में रखिये और लगेगा की सब कुछ ठीक है.उनके बारे में ज्यदा देर सोचिये और आपको पीड़ा होने लगेगी.और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखिये और ये आपको paralyze करने लगेंगी. और आप कुछ नहीं कर पायेंगे.
अपने जीवन में आने वाली चुनातियों और समस्याओं के बारे में सोचना ज़रूरी है, पर उससे भी ज्यादा ज़रूरी है दिन के अंत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रखना.इस तरह से, आप stressed नहीं रहेंगे, आप हर रोज़ मजबूती और ताजगी के साथ उठेंगे और सामने आने वाली किसी भी चुनौती का सामना कर सकेंगे.

Mr.Rishi Kumar
( Founder & CEO)
Healthpro Naturals Pvt Ltd.

तितली का संघर्ष

तितली का संघर्ष 
एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो.
इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.
वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी.
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और  वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.
वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे. बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को possible बना पायेंगे.
Mr.Rishi Kumar
(Founder & CEO)
HealthPro Naturals Pvt. Ltd,

Saturday 21 September 2013

Thought

Dil me tamannao ko dabana shikh liya hai.
Gam ko ankhon mein chupana shikh liya hai.
Mere chehre se kahin koi baat zahir na ho jaye,
Daba ke hothon ko hamne muskurana shikh liya hai.


Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.

Sunday 14 October 2012

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो

एक  बौद्ध भिक्षुक भोजन  बनाने  के  लिए  जंगल  से  लकड़ियाँ  चुन  रहा  था कि  तभी  उसने  कुछ अनोखा   देखा ,
Motivational Hindi Story Hindi Kahaani
शेर लोमड़ी और भिक्षुक
“कितना अजीब है ये  !”, उसने   बिना  पैरों  की  लोमड़ी  को  देखते  हुए  मन  ही  मन   सोचा .
“ आखिर  इस  हालत  में  ये  जिंदा  कैसे  है ?” उसे  आशचर्य  हुआ , “ और  ऊपर  से  ये  बिलकुल   स्वस्थ  है ”
वह  अपने ख़यालों  में  खोया  हुआ  था  की   अचानक  चारो  तरफ  अफरा – तफरी  मचने  लगी ;  जंगल  का  रजा  शेर  उस  तरफ  आ  रहा  था .  भिक्षुक भी  तेजी  दिखाते  हुए  एक  ऊँचे  पेड़  पर  चढ़  गया , और  वहीँ  से  सब  कुछ  देखने  लगा .
 शेर  ने  एक हिरन  का  शिकार  किया  था  और  उसे  अपने  जबड़े  में  दबा  कर  लोमड़ी  की  तरफ   बढ़  रहा  था , पर  उसने  लोमड़ी   पर  हमला  नहीं  किया  बल्कि  उसे  भी  खाने के  लिए  मांस  के   कुछ  टुकड़े  डाल  दिए .
“ ये  तो घोर आश्चर्य है , शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है .” , भिक्षुक बुदबुदाया,उसे  अपनी  आँखों  पर  भरोसा  नहीं  हो  रहा  था  इसलिए  वह  अगले  दिन  फिर  वहीँ  आया  और  छिप  कर  शेर  का  इंतज़ार  करने  लगा .  आज  भी  वैसा  ही  हुआ , शेर  ने  अपने  शिकार  का  कुछ  हिस्सा  लोमड़ी  के  सामने  डाल   दिया .
“यह  भगवान्  के  होने  का  प्रमाण  है !” भिक्षुक  ने  अपने  आप  से  कहा . “ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है , आज  से  इस  लोमड़ी  की  तरह  मैं  भी  ऊपर  वाले  की दया पर जीऊंगा , इश्वर  मेरे  भी  भोजन   की  व्यवस्था करेगा .” और  ऐसा  सोचते  हुए  वह  एक   वीरान  जगह  पर जाकर एक पेड़  के नीचे  बैठ  गया .
पहला  दिन  बीता  , पर  कोई  वहां  नहीं  आया ,  दूसरे  दिन  भी  कुछ  लोग  उधर  से  गुजर  गए  पर  भिक्षुक  की  तरफ  किसी  ने  ध्यान  नहीं  दिया . इधर  बिना  कुछ  खाए -पीये  वह  कमजोर  होता  जा  रहा  था . इसी तरह कुछ  और  दिन  बीत  गए , अब  तो  उसकी  रही  सही  ताकत  भी  खत्म  हो  गयी …वह  चलने -फिरने  के  लायक  भी  नहीं  रहा .  उसकी  हालत बिलकुल  मृत  व्यक्ति  की  तरह  हो  चुकी  थी  की  तभी  एक  महात्मा  उधर  से  गुजरे  और  भिक्षुक  के  पास  पहुंचे .
उसने अपनी सारी कहानी  महात्मा  जी  को  सुनाई  और  बोला , “ अब  आप  ही  बताइए कि  भगवान्  इतना  निर्दयी  कैसे  हो  सकते  हैं , क्या  किसी  व्यक्ति  को  इस  हालत  में पहुंचाना  पाप  नहीं  है ?”
“ बिल्कुल है ,”, महात्मा  जी ने  कहा , “ लेकिन  तुम इतना  मूर्ख  कैसे  हो  सकते  हो ? तुमने  ये  क्यों  नहीं  समझे  की  भगवान्  तुम्हे  उसे  शेर  की  तरह  बनते  देखना  चाहते  थे , लोमड़ी  की  तरह  नहीं !!!”
 दोस्तों , हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं. ईश्वर  ने हम सभी के अन्दर कुछ न  कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं , ज़रुरत हैं कि  हम उन्हें पहचाने , उस भिक्षुक का सौभाग्य था की उसे उसकी गलती का अहसास कराने के लिए महात्मा जी मिल गए पर हमें खुद भी चौकन्ना रहना चाहिए की कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं.


Mr.Rishi Kumar
Founder & Chief Executive Officer
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt. Ltd

Wednesday 12 September 2012

एक गिलास दूध

एक गिलास दूध

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस...ने पानी का एक गिलास पानी माँगा.लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक........बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया." कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा." पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव मेंकहा." माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए."" तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देताहूँ."जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकीथी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.
 
सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वहएकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान लेलेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसूटपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.

Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt. Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt.Ltd

 

विजेता मेंढक

विजेता मेंढक

बहुत  समय  पहले  की  बात  है  एक  सरोवर  में  बहुत  सारे  मेंढक  रहते  थे . सरोवर  के   बीचों -बीच  एक  बहुत  पुराना  धातु   का  खम्भा  भी  लगा  हुआ   था  जिसे  उस  सरोवर  को  बनवाने  वाले  राजा    ने   लगवाया  था . खम्भा  काफी  ऊँचा  था  और  उसकी  सतह  भी  बिलकुल  चिकनी  थी .
एक  दिन  मेंढकों  के  दिमाग  में  आया  कि  क्यों  ना  एक  रेस  करवाई  जाए . रेस  में  भाग  लेने  वाली  प्रतियोगीयों  को  खम्भे  पर  चढ़ना  होगा , और  जो  सबसे  पहले  एक  ऊपर  पहुच  जाएगा  वही  विजेता  माना  जाएगा .
रेस  का  दिन  आ   पंहुचा , चारो  तरफ   बहुत  भीड़  थी ; आस -पास  के  इलाकों  से  भी  कई  मेंढक  इस  रेस  में  हिस्सा   लेने  पहुचे   . माहौल  में  सरगर्मी थी   , हर  तरफ  शोर  ही  शोर  था .
रेस  शुरू  हुई …
…लेकिन  खम्भे को देखकर  भीड़  में  एकत्र  हुए  किसी  भी  मेंढक  को  ये  यकीन  नहीं हुआकि  कोई  भी  मेंढक   ऊपर  तक  पहुंच  पायेगा …
हर  तरफ  यही सुनाई  देता …
“ अरे  ये   बहुत  कठिन  है ”
“ वो  कभी  भी  ये  रेस  पूरी  नहीं  कर  पायंगे ”
“ सफलता  का  तो  कोई  सवाल ही  नहीं  , इतने  चिकने  खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता  ”
और  यही  हो  भी  रहा  था , जो भी  मेंढक  कोशिश  करता , वो  थोडा  ऊपर  जाकर  नीचे  गिर  जाता ,
कई  मेंढक  दो -तीन  बार  गिरने  के  बावजूद  अपने  प्रयास  में  लगे  हुए  थे …
पर  भीड़  तो अभी भी  चिल्लाये  जा  रही  थी , “ ये  नहीं  हो  सकता , असंभव ”, और  वो  उत्साहित  मेंढक  भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना  प्रयास  छोड़  दिया .
लेकिन  उन्ही  मेंढकों  के  बीच  एक  छोटा  सा  मेंढक  था , जो  बार -बार  गिरने  पर  भी  उसी  जोश  के  साथ  ऊपर  चढ़ने  में  लगा  हुआ  था ….वो लगातार   ऊपर  की  ओर  बढ़ता  रहा ,और  अंततः  वह  खम्भे के  ऊपर  पहुच  गया  और इस रेस का  विजेता  बना .
उसकी  जीत  पर  सभी  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ , सभी मेंढक  उसे  घेर  कर  खड़े  हो  गए  और  पूछने  लगे   ,” तुमने  ये  असंभव  काम  कैसे  कर  दिखाया , भला तुम्हे   अपना  लक्ष्य   प्राप्त  करने  की  शक्ति  कहाँ  से  मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?”
तभी  पीछे  से  एक  आवाज़  आई … “अरे  उससे  क्या  पूछते  हो , वो  तो  बहरा  है ”
Friends, अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं . आवश्यकता  इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक पायेगा.

Mr. Rishi Kumar
Founder & CEO
HealthPro Naturals Pvt Ltd.
WealthPro Financial Consultants Pvt Ltd.